मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा का रिजल्ट आने के 10 दिन बाद भी मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो पाया है। महायुति यानी भाजपा, शिवसेना शिंदे और एनसीपी में एक सीएम और दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला तय किया गया है। वहीं महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि जनता चाहती है कि सीएम मैं ही रहूं। मैं आम लोगों के लिए काम करता हूं। मैं जनता का मुख्यमंत्री हूं। इसी वजह से लोग मानते हैं कि मुझे ही मुख्यमंत्री बनना चाहिए।
उधर, भाजपा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतामण और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को पर्यवेक्षक बनाया है। दोनों मंगलवार को मुंबई जाएंगे और विधायक दल की बैठक में सीएम चेहरे को लेकर बात करेंगे। हालांकि, भाजपा की ओर से देवेंद्र फडणवीस का सीएम बनना तय माना जा रहा है। इस बीच, अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, इस मीटिंग में मंत्रियों की लिस्ट और उनके रिपोर्ट कार्ड पर चर्चा की गई।
सरकार गठन की तैयारी,सीएम तय नहीं
महाराष्ट्र में सरकार गठन तो छोडि़ए, मुख्यमंत्री कौन होगा ये ऐलान तक नहीं हो सका है। मुंबई से दिल्ली तक मैराथन बैठकों के दौर के बाद यह बात तो तय हो चुकी है कि मुख्यमंत्री भाजपा से ही होगा लेकिन कौन होगा? ये अभी तक तय नहीं है। अब बात इसे लेकर भी हो रही है कि महाराष्ट्र में महायुति सरकार के गठन में क्या कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही बाधा बन रहे हैं?
सीएम शिंदे को लेकर शुरू हुई यह बहस निराधार भी नहीं है। हाल ही में सीएम शिंदे के साथ ही उनकी अगुवाई वाली पिछली सरकार में डिप्टी सीएम रहे देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को भाजपा नेतृत्व ने दिल्ली तलब किया था। एकनाथ शिंदे, फडणवीस और अजित पवार ने दिल्ली पहुंचकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। अमित शाह के आवास पर तीन घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद तीनों ही नेता उसी रात मुंबई लौट आए थे। मुंबई में महायुति नेताओं की बैठक होनी थी लेकिन एकनाथ शिंदे सतारा जिले में स्थित अपने पैतृक गांव चले गए और दो दिन वहीं रहे। इसकी वजह से महायुति नेताओं की बैठक में देरी हुई।
शिंदे गुट के नेता मांग रहे भारी-भरकम विभाग
शिंदे गुट के नेता गृह और अन्य भारी-भरकम विभाग की मांग को लेकर लगातार बैटिंग कर रहे हैं। कुछ नेता तो यहां तक कह रहे हैं कि उन्हें वे सारे विभाग दिए जाने चाहिए जो पिछले ढाई साल से उनके पास थे। इसका सीधा मतलब है कि शिंदे गुट दबाव की राजनीति कर रहा है। एक तरफ महायुति की बैठक में देरी हो रही है जिसमें गृह, शहरी विकास और राजस्व जैसे विभागों के बंटवारे पर बात होनी है और दूसरी तरफ शिंदे गुट सभी महत्वपूर्ण विभाग अपने पाले में रखने के लिए दबाव बना रहा है। भाजपा ने इन सबके बीच सीएम का ऐलान भले ही न किया हो, शपथग्रहण की तारीख का ऐलान कर यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि सीएम उसका ही होगा, महायुति की ओर से नहीं। महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री का शपथग्रहण 5 दिसंबर को शाम 5 बजे आजाद मैदान में होना है। हालांकि, एकनाथ शिंदे गुट का तर्क है कि भाजपा विधायक दल की बैठक अभी नहीं हुई है जिसके बाद उनकी ओर से मुख्यमंत्री फेस का ऐलान किया जाना है। महायुति नेताओं की बैठक में जो फैसला होगा, उस पर भी गृह मंत्री अमित शाह से अप्रूवल लेना होगा। इसलिए भी कहा जा रहा है कि हर प्रक्रिया स्टैंडबाई मोड में है क्योंकि शिंदे की वजह से मीटिंग नहीं हो पा रही है। इसके पीछे स्वास्थ्य कारण ही हैं या राजनीतिक, ये भी चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि शिंदे गुट के नेता लगातार अपनी मांगों के जरिये दबाव बनाए हुए हैं।