नई दिल्ली। महिंद्रा और इंडिगो के बीच हुआ कोड 6ई को लेकर विवाद अब अदालत पहुंच गया। इस मामले में महिंद्रा के तेवर नरम पड़ रहे हैं। महिंद्रा ने इस कोड से दूरी बना ली है। उसने कहा कि जब तक अदालत में यह मामला सुलझ नहीं जाता, तब तक वह अपनी गाड़ियों के नाम में कोड 6ई का इस्तेमाल नहीं करेगी।
दरअसल, महिंद्रा एंड महिंद्रा ने पिछले पहले इलेक्ट्रिक एसयूवी कारों की नई रेंज बाजार में उतारी थीं। कंपनी ने इनमें से एक रेंज को बीई 6ई नाम दिया था। इस कोड पर इंडिगो एयरलाइन ने आपत्ति जताई थी क्योंकि 6ई इंडिगो एयरलाइन का कोड है। एयरलाइन की फ्लाइट के नंबर 6ई कोड के साथ शुरू होते हैं। कंपनी ने बाद में महिंद्रा के खिलाफ केस दायर कर दिया था।
इंडिगो ने इसे ट्रेडमार्क का उल्लंघन बताया था। वहीं ट्रेडमार्क मामले में महिंद्रा ने भी सफाई दी थी। महिंद्रा ने कहा था कि वह उसने इलेक्ट्रिक ओरिजिन एसयूवी पोर्टफोलियो के एक हिस्से के रूप में बीई 6ई के लिए क्लास 12 वाहन के तहत ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है। इस मामले में इंडिगो की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। महिंद्रा ग्रुप की कंपनी महिंद्रा इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल लिमिटेड ने कोर्ट में कहा कि जब तक ट्रेडमार्क से संबधित मामले में कोई फैसला नहीं आता, तब तक वह नई इलेक्ट्रिक कारों में इस कोड का इस्तेमाल नहीं करेगी। महिंद्रा ने कहा कि वह अपने मॉडल के नाम को बीई6ई से बदलकर बीई6 करेगी। हालांकि उसने यह भी कहा कि वह इंडिगो के दावों को भी कोर्ट में लेकर जाएगी। मामले की अगली सुनवाई अप्रैल 2025 में होगी।
बता दें यह पहली बार नहीं है तब इंडिगो एयरलाइन ने नाम को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। यह एयरलाइन पहले भी कोर्ट जा चुकी है। मामला साल 2005 का है। उस समय इंडिगो का पंगा टाटा मोटर्स के साथ था। दरअसल, इंडिगो एयरलाइंस की शुरुआत साल 2004 में हुई थी। हालांकि कंपनी के विमानों ने उड़ान भरना शुरू नहीं किया था। उस समय टाटा मोटर्स अपनी एक कार को इंडिगो नाम से बेचती थी। इसके बाद भी एयरलाइन ने अपने नाम को इंडिगो के साथ जारी रखा था।