एक ही स्कूल के दो छात्र. एक ही क्रिकेट गुरु के दो शिष्य. स्कूल में जैसे साथ-साथ पढ़े, वैसे ही दोनों ने साथ-साथ क्रिकेट के मैदान पर भी कमाल किए. हम बात कर रहे हैं हिंदुस्तान के दो दमदार क्रिकेटर और जिगरी यार रहे सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली की. दोनों ही अपनी क्रिकेट कला में माहिर थे. लेकिन, जैसे पब्लिक सब जानती है, आंकड़े भी इन दोनों की काफी कुछ कहानी बयां कर देते हैं. इसीलिए तो क्रिकेट में आंकड़ों का बड़ा मोल है, जिसके मुताबिक विनोद कांबली, सचिन के मुकाबले बेहतर नजर आते हैं.
17 टेस्ट के बाद… सचिन Vs कांबली
सचिन तेंदुलकर का क्रिकेट करियर 24 साल चला. वहीं विनोद कांबली ने बस 9 साल भारत के लिए खेला. मैचों की संख्या पर जाएंगे तो सचिन के कांबली से काफी ज्यादा दिखेंगे. सचिन ने जहां 200 टेस्ट करियर में खेले वहीं कांबली बस 17 टेस्ट ही खेल सके हैं. ज्यादा मैच यानी कि ज्यादा रन और दूसरे रिकॉर्ड. लिहाजा, हमने बस सचिन के भी उन शुरुआती 17 टेस्ट और उससे जुड़े आंकड़ों को ही कांबली के साथ उनकी तुलना में लिया.
17 टेस्ट में विनोद कांबली के आंकड़े
सिर्फ 17 टेस्ट के पैमाने पर विनोद कांबली, सचिन तेंदुलकर से काफी आगे रहे. और, अपनी इस बढ़त को उन्होंने हर मामले में बरकरार रखा. विनोद कांबली ने 17 टेस्ट में 1084 रन बनाए, उनका बैटिंग एवरेज 54.20 था. उनके नाम 2 दोहरे शतक, 4 शतक थे. उनका बेस्ट स्कोर 227 रन था.
17 टेस्ट में सचिन तेंदुलकर कहां?
वहीं अगर सचिन तेंदुलकर की बात करें तो उन्होंने अपने शुरुआती 17 टेस्ट में केवल 956 बनाए थे. सचिन की बैटिंग एवरेज भी 39.83 थी. वो दोहरा शतक नहीं लगा पाए थे और उनके नाम सिर्फ 3 शतक थे. सचिन का बेस्ट स्कोर नाबाद 148 रन था.
सचिन पर भारी विनोद कांबली
मतलब, कांबली ने अपने मित्र सचिन को हर मामले में पछाड़ रखा था, फिर चाहे वो रन हो, औसत, शतक या फिर सबसे बड़ी पारी. करियर के पहले 17 टेस्ट में सचिन, कांबली से हर मामले में पीछे थे.
हालांकि शुरुआती 17 टेस्ट में सचिन पर अपनी बढ़त बनाए रखने वाले कांबली, फिर क्रिकेट की रेस में ऐसे पिछड़े की वापसी का मौका ही नहीं मिला. नतीजा ये हुआ कि सचिन आगे जाकर वर्ल्ड क्रिकेट का बड़ा नाम बने, वहीं विनोद कांबली कहीं गुमनामी में खो गए.