मुंबई। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे महायुति के लिए तनाव का एक नया दौर शुरू कर सकते हैं। जब देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार विभागों पर चर्चा के लिए गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे तो हो सकता है कि शिंदे मौजूद नहीं हो। भाजपा और देवेंद्र फडणवीस के लिए किसको कौनसा मंत्रालय मिले और महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल का गठन अगली बड़ी चुनौती हो सकती है। खासकर तब जब दोनों सहयोगियों ने समर्थन के बदले बड़े विभागों की मांग की है। शिंदे का सेना गुट हाई-प्रोफाइल गृह मंत्रालय चाहता है, जो पिछली सरकार में देवेंद्र फड़णवीस के पास था। अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी भी बराबरी की हिस्सेदारी चाहती है, भले ही उसने कम सीटों पर जीत दर्ज की हो, लेकिन पार्टी ने अपने दावे को साबित करने के लिए बेहतर स्ट्राइक रेट यानी लड़ी गई और जीती गई सीटों के प्रतिशत की ओर इशारा किया है। विशेष रूप से एनसीपी चाहती है कि पिछली सरकार में जो वित्त विभाग उनके पास था, उसे वापस किया जाए। यह मामला भाजपा के लिए परेशान करने वाला बन गया है क्योंकि शिवसेना भी वित्त चाहती है। हालांकि यह शिंदे की ऐसी इच्छा है, जिसका पूरा होना बेहद मुश्किल नजर आता है क्योंकि वित्त, योजना और सिंचाई विभाग एनसीपी के पास जा सकता है।
विभागों के आवंटन को लेकर पिछले महीने रूपरेखा बनी थी। इस समझौते के तहत बीजेपी को 22 सीटें, सेना को करीब 12 सीटें और एनसीपी को करीब नौ मंत्री पद मिलेंगे। विभागों का बंटवारा 16 दिसंबर तक लागू करना होगा क्योंकि उस वक्त नई विधानसभा की पहली बैठक होगी।